एक बार फिर से आप सभी का स्वागत है, अगर कभी आपके मन में भी यह आया हो की कलयुग का भीम किसे कहा जाता है तो आज हम इसी टॉपिक पर बात करेंगे की कलयुग का भीम केसे कहा जाता है । तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं, आप का अपना टॉपिक कलयुग का भीम किसे कहते हैं । सफलता के 9 महत्वपूर्ण नियम कोन कोन से हैं
कारगिल युद्ध 1999
यह बात है कारगिल युद्ध की जब सन 1999 में कारगिल युद्ध हो रहा था, तब भारत और पाकिस्तान के बीच यह युद्ध चल रहा था तब पाकिस्तानी आर्मी ने भारत को तोडलिंग पहाड़ी पर कब्जा कर लिया था । उसे वापिस लेने के लिए राजपूताना राइफल्स की एक टीम को भेजा गया । इतने में ही पाकिस्तान आर्मी ने वहां पर 11 से ज्यादा बंकर बना लिए थे इन बनाकर उनको एक जांबाज में सबसे पहले बनाकर और सबसे आखरी बनाकर उसी ने उड़ाया था। इन्ही बंकर को उड़ाने के लिए इस जाबाज वीर को कलयुग का भीम कहा गया। बहुत दिन चले इस कारगिल युद्ध में हमारे भारत के बहुत वीर सिपाहियों ने अपना बलिदान दिया और अंत में देश को विजय बनाए तो इस कारगिल युद्ध का यह परिणाम हुआ भारत को विजय प्राप्त हुई।
अटल बिहारी वाजपेई जी ने किसे कहा है कलयुग का भीम
कारगिल युद्ध के सुपर हीरो कोबरा कमांडो दिगेंद्र कुमार को अटल बिहारी वाजपेई जी ने कलयुग का भी कहा था क्योंकि कोबरा कमांडो दिगेंद्र कुमार ने पाकिस्तान आर्मी के 18 जवानों को मृत्यु के घाट उतार दिया था और वहां के मेजर की अपने चाकू से ही गर्दन काट दी थी और कारगिल युद्ध में पाकिस्तान आर्मी द्वारा भारत की पहाड़ी पर कब्जा कर लेने के कारण जो भारतीय राजपूताना राइफल की तरफ से टीम भेजी गई थी उसे टीम का नेतृत्व कोबरा कमांडो दिगेंद्र कुमार ने ही किया था इसी नेतृत्व में उन्होंने पाकिस्तान आर्मी द्वारा बनाया गया 18 बकरों में से पहले बनाकर और आखिरी बनाकर इन्होंने ही खड़ा था इसके अलावा उनके शरीर में पांच गोली लगने के बाद भी इन्होंने हार नहीं मानी और अपनी सेवा को विजय अपनी सेवा का विजय परचम लहराया इसी कारण से अटल बिहारी वाजपेई जी ने कमांडो दिगेंद्र सिंह को कलयुग का भी कहा था और महावीर चक्र से सम्मानित किया।
कलयुग का भीम कहां जाने वाला कोबरा कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह कौन था
कोबरा कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह का जन्म 3 जुलाई 1969 को हुआ था कोबरा कमांडो दिगेंद्र कुमारभारतीय इंडियन आर्मी की राजपूताना राइफल के एक कोबरा कमांडो थे उनकी वीरता की कथा अब तक गई जाती है कारगिल युद्ध में उन्होंने अपना अपना और अपनी सेवा का परचम पाकिस्तान सुना के ऊपर लहरा दिया था शरीर में पांच गोली लगने के बाद भी उन्होंने पहाड़ी को जीता इसी कारण से अटल बिहारी वाजपेई जी ने उन्हें परमवीर चक्र से सम्मान किया तथा अटल बिहारी वाजपेई जीने की उन्हें कलयुग कहानी नाम से कहां
साहसी
कोबरा कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह ने अपने साहस को पाकिस्तानी सेना को धूल चाटा कर दिया था की उनके अंदर और हमारी इंडियन आर्मी के हर एक जवान के अंदर कितना साहस भरा पड़ा है ।
महावीर चक्र विजेता
शरीर में 5 गोली खाने के बाद भी पाकिस्तानी मेजर की गर्दन काटने वाले कोबरा कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह को कारगिल युद्ध में उनकी भूमिका के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। यह बात उस समय की है जब सन 1999 में भारत पाक सेना के बीच कारगिल युद्ध चल रहा था तब धोखे से पाकिस्तानी सेना ने हमारी एक जरूरी पहाड़ी पर कब्जा कर लिया था । तब हमारी इंडियन आर्मी कि एक कमान राजपूताना राइफल्स की एक टुकड़ी को पहाड़ी पर विजय प्राप्त करने के लिए भेजा गया था । इस टीम का नेतृत्व कोबरा कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह ने किया था । अपने नेतृत्व में ही उन्होंने पाकिस्तानी सेना द्वारा पहाड़ी पर बनाए गए 18 बंकर मे से पहले और आखरी बंकर को शरीर में 5 गोली लगने के बाद भी विजय प्राप्त करी और अपनी टीम और अपने देश को विजय दिलाई।
निष्कर्ष
सब कुछ समझने पढ़ने के बाद निष्कर्ष किया निकलता है, कि कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह बचपन से ही साहसी वीर एवं महान योद्धा थे। इसी वजह से उन्हें अटल बिहारी वाजपेई जी ने महावीर चक्र से सम्मानित किया और कलयुग का भीम कहा । कोबरा कमांडो दिगेंद्र कुमार सिंह ने शरीर में पांच कोटी लगने के बाद भी जो पाकिस्तान 18 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था ओर एक पाकिस्तानी मेजर का गला अपने छुरा से काट दिया था । उनके इसी साहस के लिए उन्हे महावीर चक्र से सम्मानित किया गया । हमारी आज की इस पोस्ट मैं बस इतना ही जल्द ही मिलेनेगे एक ओर नई पोस्ट के साथ आपको हमारी यह पोस्ट केसी लगी हुमए फीडबैक जरूर देना । अगरआपको हमारी पोस्ट यह पोस्ट सही लागि हो तो आप हमारे whatsapp channel को जॉइन कर सकते हैं ।
india army soldier cobra commando digenra kumar singh ko unki veerta ke liye kalyug ka bheem kaha gya tha.
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